शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

कहाँ है भगत सिंह की दुल्हन ?

 आदरणीय अन्ना अंकल,
कल मैंने हमारी कक्षा की दो लड़कियों की बातें छुप कर सुनी।, आपको बता दूं
” भगत सिंह कितना रोमांटिक रहा होगा, ना?“
” तुम्हे कैसे पता ?“
” क्यों हिस्ट्री के पीरियड में मैडम बता तो रही थी कि उसने सपने तो देखे किसी ”क्रान्ति“ के लेकिन दुल्हन बना लिया ”आज़ादी“ को . इसी अफेयर की वज़ह से तो उसे प्राण भी गंवाने पडे़ .“
” सो सैड. मारा गया बेचारा. मैं तो कहती हूं यह ओनर-किलिंग रही होगी “
” सो तो है ही. इस क्रान्ति ने भी जाने कितने लड़कों को मरवाया होगा “
” यू मीन, क्रान्ति इतनी बेकार है?“
”और नहीं तो क्या ? नहीं तो आज़ भी लड़के हमारी बजाए उसी के पीछे न भागते?“
” सही कहा. वैसे टीचर ने क्या बताया भगत सिंह की दुल्हन का क्या हुआ?“
” स्टुपिड ओनर-किलिंग एक तरफा नहीं होती . किसी न किसी ने तो उसे भी ज़रूर ही मारा या टार्चर किया होगा?“
     अंकल जी उसके बाद की बातें नहीं सुन पाया क्योंकि चेतना और जागृति नाम की ये दोनों लड़कियां विवेक और चेतन्य नाम के लड़कों के साथ गप्पें हांकने लगी, जो इन्हे खोजते हुए यहां आ गये थे.
   अंकल जी आप ही बताईये, जिस देश  की चेतना और जागृति इतनी स्टुपिड हों , और जिस देश  के विवेक और चेतन्य उनके पीछे चक्कर काटते हों, उस देश  को गुलाम होने से कोई रोक सकता है?
       वैसे उन बेवकूफ लड़कियों के एक सवाल में मैं अभी तक उलझा हूं कि भगत सिंह की दुल्हन का क्या बना होगा ? भगत सिंह की ओनर-किलिंग तो सभी जानते हैं किसने की थी .
आपका अपना बच्चा
मन का सच्चा
अकल का कच्चा
प्रदीप नील
                                 

गुरुवार, 10 नवंबर 2011

नेता का दिमाग घुटने में ?

आदरणीय अन्ना अंकल ,
कल हमारे संगीत वाले सर हमें देशभक्ति का गाना सिखा रहे थे,लेकिन बहुत ही गुस्से में थे. बोलने लगे,“ बच्चो,कहां का देश,और कैसा देश ! तुम्हारे सामने भला-चंगा खडा हूं.मुझे तो कल रिटायर होना पडेगा. और इधर नेता हैं कि 70 साल के हो जाएं,घुटने काम ना कर रहे हों,तो भी उन्हे रिटायर करने वाला कोई नहीं है.“
यह अन्याय की बात सुनकर हम तो हैरान रह गए, अंकल जी.
तभी चपडासी पानी लेकर आया,प्रिंसीपल को गालियां देता हुआ. सर की बात सुन कर बोला,“देश तो अब पाताल को जाएगा ही. यहां अंधे तो बच्चों को संगीत सिखाते हैं“
यह सुनते ही संगीत वाले सर चिढ गए. चिल्लाए,“ बकवास क्यों करता है,राम औतार के बच्चे ? मैंने संगीत गले से सिखाना होता है, आंखों से नहीं “
राम औतार उसी तर्ज़ पर बोला,“ तो तू भी जान ले,राम लुभाए कि नेता ने देश दिमाग से चलाना होता है, घुटनों से नहीं “
यह बहस ज्यादा देर नहीं चली, क्योंकि दोनो एकदम से “नवीन भारतीय संस्कृति“ पर उतर आए.यानी संगीत वाले सर जी तबले पर थाप की तरह राम औतार के सिर पर सितार मारने लगे. राम औतार इस भरोसे के साथ कि प्रिंसीपल उसने बनना नहीं,चपडासी से नीचे कुछ बना सकते, हुक्म बजाने की तरह सर के सिर पर जूत्ता बजाने लगा.
हम सभी ज़ोर-ज़ोर से रोने लगे तो पूरा स्कूल भागकर आया और उन्हे छुडवाया.
अंकल जी,हम तो हैरान रह गए कि इस तरह तो हम बच्चे भी नहीं लडते. जब हम बच्चे लडते हैं तो सारे सर एक ही बात कहते हैं “तुम्हारा क्या मकान बंट रहा था,जो बंदूक निकाल ली ?“ आज हमें समझ नहीं आया कि  यहां कौन सा मकान बंट रहा था?
अंकल जी,हमें सबसे घटिया बात तो यह लगी कि ये बड़े  लोग एक दूसरे की शारीरिक अक्षमता का मज़ाक उडा रहे थे.कोई अपाहिज या बीमार है तो इसमें उस बेचारे का क्या कसूर?
घर जाकर  दादा जी से मैं पूछने लगा कि नेता को किस उम्र में रिटायर होना चाहिए ?
दादा जी गुस्से से  बोले ' मैं कोई नेता तो हूँ नहीं . किसी नेता से ही पूछ ले जो सत्तर साल से ऊपर का हो ".
अब आप ही बताइए अंकल कि यह बात किससे पूछूं ?
आपका अपना बच्चा
मन का सच्चा
अकल का कच्चा
प्रदीप नील 

मंगलवार, 8 नवंबर 2011

”नो स्नान-नो मतदान“

कल हमारे नेता राम औतार ने मुझसे कहा“ अन्ना के भतीजे, सुन,मैं चुनाव-सुधार अभियान में योगदान देना चाहता हूं,इतिहास में दर्ज़ कर लेना. अपने अंकल से बोलना कि मेरे सुझाव ये हैं :
(1).तीसरी क्लास का बच्चा भी जानता है कि ”नेता” शब्द पुलिंग है और ”जनता” स्त्रीलिंग. जनता नाम की लडकी को उम्मीदवार नाम के 10-15 लडकों में से किसी एक को पसंद करना होता है. इस प्रकिया का नाम चुनाव नहीं बल्कि ”स्वयंवर” है. अतः सबसे पहले इसका नाम बदला जाए.
(2).कुछ मतदाता पैसा हमसे लेते हैं,वोट किसी और को दे आते हैं. यह “ साई और को,बधाई किसी और को“ टाइप भ्रष्टाचार  बंद होना चाहिए. इसके लिए बिल लाया जाए.
(3). चुनाव के वक्त कुछ लोग घोषणा  कर देते हैं कि उनका जब तक अमुक  काम पूरा नहीं होगा,वे मतदान नहीं करेंगे.यह व्यवहार उस बुआ जैसा है जो भतीजे की शादी में रूठ जाती है.
फूफाओं से कहिए कि ऐसी बुआओं पर लगाम लगाएं.
(4). चारों तरफ “स्वच्छ“चुनाव प्रकिया पर ज़ोर दिया जा रहा है, लेकिन इधर किसी का ध्यान नही है कि मतदाता बूथ पर नहाकर भी आया है,या नहीं ? पोलिंग अफसर को चाहिए कि मतदाता को सूंघकर,तसल्ली होने के बाद ही वोट डालने दे. आगामी चुनावों का नारा भी सुझा देता हूं ”नो स्नान-नो मतदान“
(5). मतदाता ने मत किसको दिया,इस बात की पूरी गोपनीयता रखी जा रही है. अबे, मैं पूछता हूं कि यह मतदान है या गुप्तदान ? वोटर को वोट डालने का हक है, तो हमें लेने का भी तो है. किस बात का दान ? अगर आप मेरे सुझाव नंबर एक को दोबारा देखें तो दान टाइप कोई और शब्द आप ही बता देंगे.
(6). पोलिंग बूथ अक्सर स्कूलों में बनाए जाते हैं. हमें पढाने वाले गुरू जी रोज कहते थे कि स्कूल के बच्चों और बंदरों में कोई फर्क नहीं होता.स्कूल में घुसते ही मतदाता का मन कैसा हो जाएगा,सोचना ज़रा? भगवान न करे, भेड-फार्म में पोलिंग बूथ हो तो? जब सुधार ही करना है तो सारे बूथ “सुधार-गृह“ में होने चाहिएं. विचार भी शुद्ध  रहेंगे, प्रकिया भी.

बाप रे बाप! अंकल जी, आप भी यह क्या सुधार का झमेला ले बैठे ? मुझे तो नहीं लगता, हम राम औतार का एक भी सुझाव, इस जन्म में लागू कर पायेंगे.
  चिट्ठी आपको इसलिए लिख दी कि कल को कोई यह न बोलने लगे कि ये नेता लोग ही चुनाव सुधार के पक्ष में नहीं हैं.
आपका अपना बच्चा
मन का सच्चा
अकल का कच्चा
प्रदीप नील

रविवार, 6 नवंबर 2011

अन्ना, मेरा बाप चोर है

आदरणीय अन्ना अंकल ,
मम्मी ने अनशन पर जाने की धमकी दी तो  पापा डर गए और हमारे घर में नया ए.सी. लग गया.
लग तो गया लेकिन पापा मुंह लटका कर बोले “बिल“
मम्मी हंसने लगी, “ कौन सा,लोकपाल या जन लोकपाल ?“
पापा झल्लाए, “नालायक, मैं बिजली के बिल की बात कर रहा हूं. अगले महीने बिल आएगा,तो ए.सी. का पता चलेगा.“
मम्मी मुस्कुराई, “तुम भी भोले शंकर  ही हो. दो दिन रूको फिर मेरा कमाल देखना.“
दो दिन बाद एक अंकल हमारे घर आए और बिजली की तार,मीटर और स्विच के साथ पता नहीं क्या करने लगे. मैंने पूछा तो पापा ने डांट दिया,“ जाकर गली में खेलो, दोस्तों के साथ “
अंकल जी, यह तो मेरे एक दोस्त ने बताया कि इसे बिजली चोरी कहते हैं. सुनकर मेरा तो मुंह उतर गया और सोचने लगा तो क्या मेरे पापा चोर हैं?
घर पर मम्मी ने डांट दिया, “क्यों दिमाग खराब करता है. सारे ही तो करते हैं. नेताओं को देख ना देश  को लूट कर खा गए.“
लेकिन, अंकल जी, मेरा दिमाग अभी खराब ही है. मेरे पापा चोर कैसे हो सकते हैं ? वे तो पूरा दिन अन्ना- अन्ना करते रहते हैं. कल कह भी रह थे कि अन्ना भ्रष्टाचार  के खिलाफ जो बिगुल बजा रहे हैं, उसका अच्छा नतीज़ा ही आएगा.
अंकल जी,मेरे पापा कभी दिखें तो डांटना ज़रूर. ऐसा न हो कि बिजली चोरी में हम पकडे जाएं और मुझे अपने हाथ पर लिखवाना पडे “मेरा बाप चोर है“
आपका अपना बच्चा 
मन का सच्चा 
अकल का कच्चा  
प्रदीप नील