शनिवार, 25 अगस्त 2012

भगवां वस्त्रों की महिमा


  आदरणीय अन्ना अंकल,
हमारा पड़ौसी राम औतार बहुत गंदा है . हमेशा  तेरहवीं बात करता है .
कल कहने लगा ” जी तो करता है कि बम ले कर सारे स्कूल-कालेज तबाह कर दूं .“ 
उसकी यह बात सुन कर मेरी ऊपर की सांस ऊपर रह गई और नीचे की नीचे. मैंने कहा ”होश में तो हो जो सरस्वती के मंदिरों को गिराने की बात कर रहे हो ? तुम्हे शर्म आनी चाहिए .“
राम औतार हंसने लगा, बोला ”शर्म तो आनी चाहिए इन स्कूल-कालेजों को जो नकली विषय  पढा कर बेरोजगारों  की फौज़ पैदा कर रहे हैं . बाद में ये बच्चे पैंट-शर्ट पहनना सीख जाते हैं और शर्म के मारे इनसे मज़दूरी भी नहीं होती. फिर ये सारी उम्र भूख मरते हैं और सरकार तथा देश  को कोसते हैं “
अंकल जी, उसने वर्तमान की तस्वीर तो सही खींची थी इसलिए मैं भी सोच में डूब गया . जब कुछ भी फैसला नहीं कर पाया तो मैंने राम औतार से पूछा ”तो तुम्हारे हिसाब से क्या होना चाहिए ?“ 
राम औतार कहने लगा ”ऐसी पढाई होनी चाहिए कि बच्चा मात्र दस साल में करोड़पति होना सीख जाए .“
मैंने चिल्ला कर कहा ” आ गया न अपनी दो पैसे वाली  टुच्ची औकात पर . अब तुम पांच-सात नेताओं के नाम गिना कर बताओगे कि फलां नेता पहले सब्जी बेचता था, और फलां नेता ...“
राम औतार ने बात काटते हुए कहा था ”बिलकुल नहीं. खादी वाली  नेतागिरी के इस धंधें में आजकल पैसा कम है, बदनामी ज्यादा . मैं तो वो विषय  बता रहा था जिसमें पैसा भी है और इज़्ज़त भी .यानि, भगवां वस्त्रों में नेतागिरी.  इसके लिए  करना सिर्फ इतना है कि चारों तरफ गुरूकुल खुलें और उनमें प्राचीन वेद-शास्त्रों का ज्ञान दिया जाए तो हर छात्र करोड़पति हो सकता है .बस शर्त सिर्फ इतनी है कि वह इतना बडबोला हो कि अपनी बात नीचे न पड़ने दे, बीए या एमबीए किए बिना भी चीज़ें बेच सकता हो , देश  की हर समस्या के लिए नेताओं को जिम्मेवार ठहरा सकता हो और उसे भगवां पहनना अच्छा लगता हो .“
मैंने पूछा ” आप भगवां वस्त्रों पर इतना जोर क्यों दे रहे हैं ? मैंने तो सुना है कि ये वस्त्र पहन कर पैसा कमाना तो दूर, खुद अपना राज-पाट तक छोड़ने का मन करने लगता है“.i
राम औतार गुस्से हो गया ” किससे सुना है, गधा कहीं का ! कितने ही बाबा -बाबियां हैं देश  में जो लोगों को मोह-माया से दूर रहने का उपदेश  दे कर ही करोड़पति हो गए .तुम्हारी आंखें हैं कि बटन ?“
मैंने हाथ जोड़े ” सही कह रहे हो, मालिक . सब समझ आ गया लेकिन इतना नहीं समझ पाया कि भगवां किस लिए..?“
राम औतार कहने लगा ” भगवां वस्त्र संसार का आठवां आश्चर्य  है क्योंकि, रोज ही देश  के किसी न किसी हिस्से  में भगवां वालों की पोल खुल रही है फिर भी इसके प्रति लोगों का सम्मान खत्म नहीं होता. और फिर ये  दिव्य-वस्त्र हैं ही इतने सुविधाजनक कि पूछो मत . जब तक चेलों के सामने अकड़ बनी रहे, इन्हे सजाए रखो लेकिन जान बचाने के लिए दूसरे वस्त्र पहनने हों तब इन्हे उतार फैंकने में भी मात्र  एक ही सेकिण्ड लगता है .“
अंकल जी, राम औतार की बात सुन कर मेरे दिमाग ने तो काम करना ही बंद कर दिया है . अब आप ही बताईये उसकी बात ठीक है या गलत ?
आपका अपना बच्चा,
मन का सच्चा,
अकल का कच्चा
- प्रदीप नील 


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